उम्मीद
एक आशा,
ना है कहीं निराशा,
हर एक पल,
किरण के जगमगाने से,
खुशियां दूनी करता है !

वो नजरिया,
जो पत्थर को भगवान बना दे,
जो धूप को जीवन का नाम दे,
जो बारिश को अमृत समझे,
जो मिट्टी से इंसान बना दे!

जिसकी छोटी सी मुस्कान से,
डूबता दिल खिलखिला उठे,
एक छोटे से तिनके के साथ,
वो जीवन को पुकार उठे,
फिर ना उम्मीदी किस काम की
जब है उम्मीदों की पहरेदारी!

मना,
कोई जो कर ना पाए,
उम्मीद का घेरा बढ़ता है
उनकी आंखो में विश्वास देखकर,
प्यार हमारा बढ़ता है!

उम्मीद ही तो एक किरण है,
जो खालीपन को भर देता है,
अकेलेपन और तन्हाई को,
खुशियों में बदल देता है,
ज़िन्दगी के रेगिस्तान में ” शायद” 
जैसे पानी का घड़ा दिखता है।।

– Kumkum

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