हकीकत जैसी भी हो,
ख्वाब अद्भुत है।
इन ख्वाबों से कहो,
मेरी ख्वाइशों से रोज़ मिला करें,
जैसे ही पूरी होती है,
बदल जाती हैं।
बदलती है, अपने रूप,
अपने आकार में,
अपनी खुशबू में,
अपने आकाश में,
फिर भी मेरी ही है,
बेहद अपनी सी है।
बदलती है, पर खुद का अनोखा हुनर रखती है,
खामोश हैं, हौले हौले कदम रखती है,
मजबूत है अपने इरादों में,
सफर हौसले से तय करने का जज्बा रखती हैं।
पल पल संवरती है,
पल पल निखरती है,
पल पल मुझे मेरा होने का हौसला देती है।
दिखती हूं मैं जब किसी और की ख्वाहिश में
माहौल खुशनुमा हो जाता है अपने आप में
पल भर की ख्वाहिश हो या ज़िन्दगी भर की
दिल सच्चा हो, तो बस यूं पलों को जी भर के जीना चाहती हैं।
नासमझ, सहमी, और इन्हे कभी बेख़ौफ़ पाती हूँ ,
कभी नादान, कभी प्रचंड, कभी निडर हो जाती हूं,
इनके होने का ही सबब है, जो मैं, मैं हूं,
और तुम्हे भी तुम सा पाती हूं।
ख्वाहिशों में शोर है तो कभी है ठहराव भी
कभी बेबाक होती है,तो कभी लगती है आग भी,
ये ख्वाहिशें हैं
कभी ख्वाब में दिखती है तो कभी हकीकत में
ये ख्वाइशें बहुत अपनी सी हैं,
सिमटते देखा है तमन्नाओ के दायरे में अक्सर,
ख्वाहिशों को बुलंद करते हुए,
ज़िन्दगी कुछ ऐसे रोशन हुआ करती है,
जब हौसले और रोशनी से उजागर हो ये राहें,
हर ख्वाहिश पूरी हुए करती है।
– श्रुति