है मगर,
मुझसा दिखता तो है,
पर मैं मुझसे कहीं खो गया है।
है मगर,
देखता सब कुछ है,
मेहसूस भी करता है,
पर मुझमें से मैं खो गया है।
है मगर,
सही राह चल रहा है,
पर वो खास राह कहीं खो गया है।
है मगर,
कई रंग समेट रखे है खुद में,
पर खुद का रंग कहीं खो गया है।
है मगर,
मुस्कुराता है पूरे दिल से,
पर उस दिल का टुकड़ा कहीं खो गया है।
है मगर,
खुद को चाहता है,
पर किसी और को चाहने में कुछ कुछ खुद को खो गया है।
है मगर,
खुद में भर पूर है,
पर पूरे होने की चाह में,
सातों आसमान में कहीं खो गया है ।