अगर हो कोई वो कोशिश,
जो करने में चूक गए हैं हम,
अगर हो कोई गुज़ारिश,
जो ज़ाहिर न कर पाये हैं हम,
अगर कोई कसर रह गयी हो हमसे,
इस वक़्त को बेहतर बनाने में,
अगर हो कोई वो वादा,
जो भूल रहे हैं हम,
अगर हो किसी भी बात पर हमसे नाराज़ तुम,
जो कह सको , कह दो न तुम।
अगर दूरीयों का गम तुम्हे भी सताता है,
जो कह न पाए खुद से हम,
वो यादों का जंगल तुम्हारे ख्यालों में भी आता है,तो,
उसी मोड़ पर मिलना •••,
जहाँ बिछड़े थे हम i
महीने बीत गये है,
तुम्हारी राह तकते हैं हम,
बिछड़ने की आदत सी है हमे तो,ये सोचा करते थे,
अब जान पड़ा इक असीमित आदत हो तुम।
इस उम्र में,
मिले तो हम हज़ारों से,
पर तुम जैसा कोई न मिला हमको,
रास आ जाये तो हमेशा के लिए रुक जाना,जो निभा पाना तो,
तो यहीं हमारे संग ठहर जाना।