कोई चाँद चाँद कहता रहा,
कोई चाँद को अपना बना बैठा,
कोई चाँद को तस्वीर में उतार चला,
कोई चाँद को रस्मों में बांधता चला,
कोई चाँद को देखने की फ़िराक में, बादलों को गले लगाता चला,
कोई उड़ान भरता है ये सोच के, की एक दिन तो चाँद को पायेगा,
कोई खुद  को चाँद समझ, ये दुनिया जगमगाएगा।

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