आज़ादी का चर्चा हुआ है आज ,
हम आज़ाद हैं, हर दिल कह कर झूमा है आज ,
जो की जाट पात की बेड़ियों से उलझे हमारे कदम रुकते हैं आज भी,
तुम इस जात के – मैं उस जात का – हम कहने से नहीं कतराते आज भी,
खुद को समझने का दिन आया है आज,
मन की आज़ादी को उड़ान देने का दिन आया है आज,
कहने में की हम आज़ाद है और आज़ाद होने का जज़्बा दिखने में अंतर है मेरे दोस्त,
आज़ादी मन का विश्वास है जो किसी और के हाथ की डोर नहीं मेरे दोस्त ,
एक सच्चे इंसान बन जाएं हम – तो क्या बात है,
हर दिन खुद का हप, तो क्या बात है,
खुद को जगाने का वक़्त आया है मेरे दोस्त,
इंसान को इंसान ही रहने दो।

आज़ादी मुबारक।

– श्रुति

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